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Monday, 7 September 2015

University Teachers Will Be Fight In Bihar Vidhansabha Election 2015

राजनीति की शुरुआत कॉलेज या यूनिवर्सिटी कैंपस से होती है. ऐसे भी पटना यूनिवर्सिटी में राजनीति की जमीन बहुत उपजाऊ है. बिहार पॉलिटिक्स में वर्तमान में जितने भी बड़े नाम हैं, वे कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में पीयू से जरूर जुड़े हैं. एक बार फिर विधानसभा चुनाव को लेकर पीयू में राजनीति गरमाने लगी है. अभी ही दर्जनभर नाम सामने आ गए हैं, जो इस बार विधानसभा पहुंचने की जुगत में लगे हैं. आज टीचर्स डे के मौके पर आइए जानते हैं यूनिवर्सिटी की राजनीति के रास्ते विधानसभा पहुंचने में कौन किस तरह से अपनी तैयारी कर रहे हैं..

एकता ही मेरी ताकत..

बीजेपी के टिकट पर नवादा सीट से 13वीं लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे संजय पासवान भी विधानसभा इलेक्शन में फाइट करने वाले हैं. उन्होंने कहा कि मैं इस बार चुनाव तो लडूंगा, पर सुरक्षित सीट से नहीं. मुझे पार्टी किसी भी सामान्य सीट से टिकट दे दे. वैसे मेरा इंटरेस्ट दरभंगा, समस्तीपुर और नवादा कोई भी विधानसभा क्षेत्र हो सकता है. उन्होने कहा, मेरी दावेदारी इसलिए भी मजबूत है कि मैं लोकसभा का सदस्य रह चुका हूं और वाजपेयी मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री भी. संजय ने कहा कि मैं वर्षो से संगठन से जुड़ा हूं. सांगठनिक एकता ही मेरे लिए प्लस प्वाइंट है, साथ ही दर्जनों सामाजिक संगठनों से भी जुड़ाव जीत में एक कड़ी का काम करेगी. 

हार को अबकी जीत में बदलूंगी 

वरिष्ठ समाजवादी व पूर्व मंत्री तुलसीदास मेहता की बेटी व सीनियर लीडर आलोक मेहता की बहन सुहेली मेहता हाल के दिनों में बिहार की राजनीति में बहुत तेजी से उभर रही हैं. कॉलेज की राजनीति से संसद के गलियारे तक पहुंचने का सपना लिए सुहेली पिछले लोकसभा चुनाव में भी लड़ी थी, पर जीत नहीं मिली. चिराग पासवान के साथ आई खटास के बाद उन्हें लोजपा से निकाल दिया गया. सुहेली कहती हैं बीजेपी से भी टिकट मिले, तो लड़ सकती हूं, वैसे राजद की ओर से भी हामी मिली है, देखते हैं क्या होता है. http://inextlive.jagran.com/university-teachers-will-be-fight-in-bihar-vidhansabha-election-2015-90855

Source: Patna News

Thursday, 13 August 2015

Train Ticket Full For Festival Season From Delhi And Mumbai

इस बार दुर्गा पूजा, दीपावली व छठ पर बिहार से बाहर रह रहे लोगों को घर आने में परेशानी होने वाली है, क्योंकि दिल्ली, मुंबई सहित अन्य प्रमुख शहरों से पटना आने वाली सभी ट्रेनें फुल हो गई हैं. कई प्रमुख ट्रेनों में सीटें हैं ही नहीं तो अधिकांश में वेटिंग ही दिख रहा है. मालूम हो कि दीपावली क्क् नवंबर को है और इसके छह दिन बाद छठ होना है. 

तत्काल का ही इंतजार

नई दिल्ली से पटना आने वाली कई ट्रेनों के थर्ड एसी और स्लीपर में नो रूम तो कुछ में वेटिंग ही बहुत अधिक है. ऐसे में पैसेंजर के पास मात्र एक ही ऑप्शन है कि वे तत्काल का इंतजार करें. वहीं, रेल अधिकारियों की मानें, तो जैसे-जैसे फेस्टिवल का समय नजदीक आएगा फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनें भी चलायी जाने की योजना है. दिल्ली से आने वाली प्रमुख ट्रेनों में से गाड़ी संख्या क्भ्ब्8ब् महानंदा एक्सप्रेस में क्0 नवंबर से क्7 नवंबर तक वेटिंग टिकट ही मिल रहा है. 

कई ट्रेनों में वेटिंग

गाड़ी संख्या  नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस, गाड़ी संख्या क्ख्ब्ख्ब् डिब्रूगढ़ राजधानी, गाड़ी संख्या क्ख्फ्म्8 विक्रमशिला में भी कई नवंबर से लेकर कई दिनों तक ट्रेनों में टिकट वेटिंग ही है. See more - http://inextlive.jagran.com/train-ticket-full-for-festival-season-from-delhi-and-mumbai-88428

Monday, 10 August 2015

Pandit Rajan Mishra And Sajan Mishra Are In Patna

टैलेंट नहीं परसेंट से माने जाते हैं अच्छे स्टूडेंट्सशास्त्रीय संगीत के जाने-माने नामों में पद्मविभूषण पंडित राजन मिश्र एवं पद्मविभूषण साजन मिश्र की अपनी अलग पहचान हैं. दन दिनों ये दोनों स्पिक मैके की ओर से पटना के अलग-अलग एजुकेशन इंस्टीट्यूट में स्टूडेंट्स को शास्त्रीय संगीत से रू-ब-रू करा रहे हैं. आई-नेक्स्ट से बात करते हुए राजन व साजन मिश्र ने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा-दीक्षा, इसके प्रचार-प्रसार, और तनाव दूर करने में शास्त्रीय संगीत के रोल आदि पर अपने विचार रखे. 

राजन मिश्रा:

अब पश्चिमी देशों में भी लोग शास्त्री संगीत सुनना काफी पसंद कर रहे हैं. इसके बाद भी इसका प्रसार नहीं हो पा रहा आखिर क्यों?

आज के समय में रॉक-पॉप के मैडोना हों या कोई और कलाकार विदेशों में परफॉमेंस पर मीडिया में अच्छी जगह मिलती है. हिंदुस्तानी वोकल म्यूजिक का विदेशों में ही नहीं भारत में ख्भ् हजार से ज्यादा दर्शक टिकट खरीद कर देखते हैं, लेकिन इनको वैसा स्थान नहीं मिल पाता है जैसा की विदेशों में मिलता है. पॉप और रॉक वालों के पास तगड़ी पीआर एजेंसी होती है. हालांकि भारत के पारंपरिक संगीत के कलाकार स्वाभिमानी होते हैं. वे इन सब पर ध्यान नहीं देते हैं.

भारत में शास्त्रीय संगीत के एजुकेशन की स्थिति है?

हमारे समय में सातवीं तक संगीत की शिक्षा अनिवार्य थी. आज इस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. स्टूडेंट्स की प्रतिभा का आकलन परसेंट पर होता है, जबकि कम परसेंट वाले स्टूडेंट्स में भी अच्छी प्रतिभा है. संगीत की शिक्षा पाकर लोग लंबे समय तक म्यूजिक इंडस्ट्री में टिक रहे हैं. सोनू निगम, श्रेया आदि कलाकार एजुकेशन पाकर आए हैं. इसी कारण इंडस्ट्री में टिके हुए हैं. वैसे, कई कलाकर तो ऐसे भी हैं जो एक एल्बम में दिखते हैं फिर कहां गायब हो जाते पता भी नहीं चलता.  See more - http://inextlive.jagran.com/pandit-rajan-mishra-and-sajan-mishra-are-in-patna-88087

Source: Patna News